डी0एन0ए0 प्रदर्शों की पहचान तथा संकलन

आधुनिक युग में हत्या तथा बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों की संख्या में लगातार वृद्धि व अधिक जटिलता हो रही है। अपराधी अपनी पहचान छिपाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं जिससे विवेचकों को चुनौती का सामना करना पड रहा हैं। डी0एन0ए0 फिंगर प्रिन्टिग का आविष्कार, अपराधियों की खोज व सही पहचान करने में वरदान साबित हुआ है। अपराधी अपराध करते समय घटनास्थल पर बहुत से जैविक साक्ष्य छोड़ जाते हैं जिनके परीक्षण से अपराधी को अपराध से जोडा जा सकता है। यह एक विश्वसनीय एवं आधुनिक तकनीकी है जिसके उपयोग से अपराधियों को सज़ा तथा निर्दोष व्यक्तियों को न्याय मिल सकता है।

डी0एन0ए0ः


डी0एन0ए0 का पूर्ण रूप है– ‘‘डीआक्सी राइबो न्यूक्लिक एसिड’’, एक रासायनिक यौगिक जो प्रत्येक जीव चाहे वह प्राणि है अथवा वनस्पति, की शारीरिक कोशिका के केन्द्रक में मिलता है। इस यौगिक की श्रंखला बहुत से समान यौगिकों के एक साथ बंधने से एक रस्सी का रूप ले लेती है जो नग्न आंखों से दिखाई नही पडती है। इसको केवल इलेक्ट्राॅन सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखा जा सकता है। इसकी दो श्रृंखलाऐं बंधों द्वारा आपस में इस प्रकार से जुड जाती हैं कि एक दूसरे के साथ लिपटी हुई दिखाई देती हैं जिसको डी0एन0ए0 की डबल हैलीकल चेन कहा जाता है। इसमें मुख्य बात यह है कि विभिन्न डी0एन0ए0 यौगिकों के आपस में जुडने का क्रम निश्चित होता है जो प्रत्येक जीव में अलग-अलग होता है। इसी क्रम का अध्ययन कर वैज्ञानिक अलग-अलग व्यक्तियों के डी0एन0ए0 को पहचान सकते हैं। यह क्रम माता पिता से अपनी अगली पीढ़ी में वंशानुगत होता है जिससे बच्चे में माता पिता के जीन्स (डी0एन0ए0 क्रम) मिलते हैं।

अपराधों अथवा विभिन्न विवादों के निपटान में डी0एन0ए0 की भूमिका-
निम्न मामलोें में डी0एन0ए0 परीक्षण विभिन्न विवादों/अपराधों की विवेचना में सहायक सिद्ध हो सकता है-

  1. पैतृत्व विवाद के मामले।
  2. अज्ञात शवों के दावा मामले (Claim for unknown dead bodies)
  3. हमला, आक्रमण(Assault) आदि के मामलों में।
  4. हत्या और बलात्कार मे मामलों में।
  5. क्रमिक (Serial) हत्या अथवा बलात्कार के मामलों के परस्पर समन्वय में।
  6. एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा किये बलात्कार में अभियुक्तों की पहचान हेतु।

घटनास्थल पर सीधे मिलने वाले जैविक डी0एन0ए0 प्रदर्श-

  1. रक्त अथवा रक्त रंजित वस्तु – (हत्या/हत्या के प्रयास/लूट/हमला आदि में)
  2. वीर्य अथवा वीर्य के धब्बे – (बलात्कार/सामूहिक बलात्कार आदि में)
  3. ऊतक अथवा कोशिका – (हत्या/हत्या के प्रयास/लूट/हमला/हमला, आक्रमण, हाथापाई, दुर्घटना आदि में)
  4. अस्थिमज्जा अथवा शारीरिक अंग – (दहेज हत्या, जलाकर मारने/प्रयास, आगनी/दुर्घटना आदि के मामलों में)
  5. बाल (जड सहित) – (हत्या/बलात्कार/हत्या या बलात्कार के प्रयास/ लूट/हमला दहेज हत्या/ जलाकर मारने/प्रयास/ हमला, आक्रमण, हाथापाई, दुर्घटना आदि में )
  6. लार, मूत्र, पसीना अथवा अन्य शारीरिक द्रव – ( हत्या/बलात्कार/हत्या या बलात्कार के प्रयास आदि में)
  7. नाखून जिसमें त्वचा अथवा ऊतक हो – (हत्या/बलात्कार/हत्या या बलात्कार के प्रयास/ लूट/हमला दहेज हत्या/ जलाकर मारने/प्रयास/ हमला, आक्रमण, हाथापाई, दुर्घटना आदि में )

घटनास्थल पर अदृश्य रूप में मिलने वाले जैविक डी0एन0ए0 प्रदर्श-

  1. विभिन्न शारीरिक द्रव (रक्त, वीर्य, पसीना, लार, मूत्र आदि) जो किसी चादर, कंबल, तकिये अथवा अन्य कपडे पर अदृश्य रूप में उपस्थित हो सकते हैं।
  2. नाखूनों के अन्दर छूटी हुई त्वचा अथवा अन्य ऊतक।
  3. ओरल सैक्स के मामले में मसूडों के बीच वीर्य के होने की संभावना।
  4. आत्महत्या अथवा फंदा लगाकर हत्या के मामले में रस्सी पर त्वचा अथवा रक्त की कोशिकाऐं।
  5. काटने अथवा चुम्बन के स्थान पर लार मिलने की संभावना।
  6. टिश्यू पेपर आदि में वीर्य होने की संभावना।
  7. सिगरेट बट, टूथपिक, चीविंग गम, बोतल के ढक्कन आदि पर लार मिलने की संभावना।
  8. बेन्डेज़ आदि में पस सैल्स होने की संभावना।
  9. टोपी में पसीना, त्वचा कोशिकाऐं, बाल आदि होने की संभावना।
  10. टूथ ब्रश में लार मिलने की संभावना।

घटनास्थल से डी.एन.ए प्रदर्शों के संकलन, संरक्षण, प्रलेखन और अग्रेषण में बरती जाने वाली सावधानियाँ-
घटनास्थल से डी.एन.ए साक्ष्य के संकलन के समय निम्न सावधानियां आवश्यक हैं-

  1. घटनास्थल पर अनावश्यक चहलकदमी न होने दें इससे साक्ष्यों के अस्तित्व पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है।
  2. साक्ष्यों को छूने से पूर्व मूल स्थिति में साक्ष्यों की फोटोग्राफी की जानी चाहिये।
  3. साक्ष्यों को छूने से पूर्व सुनिश्चित कर लिया जाये कि दस्तानों का प्रयोग किया जा रहा है या नही। दस्तानों का प्रयोग आवश्यक है ताकि आपके शरीर की कोई कोशिका साक्ष्य केे साथ सम्मिलित होकर उसके अस्तित्व में संशय उत्पन्न न कर दे।
  4. साक्ष्य को पैक करते समय उसका उचित संरक्षण आवश्यक है उदाहरणार्थ- यदि घटनास्थल से गीला रक्त अथवा अन्य शारीरिक द्रव मिलता है तो उसे छांव में सुखाकर ही पैक किया जाय ताकि संक्रमण न हो पाये और परीक्षण से पूर्व ही साक्ष्य नष्ट न हो सके।
  5. यदि संभावित का रक्त नमूना लिया जा रहा है तो वह ई0डी0टी0ए0 परखनली अथवा एफ0टी0ए0 पेपर पर ही लिया जाय।
  6. रक्त के गीले नमूनों को सदैव 4 डिग्री सेल्सियस पर रेफ्रिजरेटेड रखा जाय।
  7. यदि किसी शारीरिक द्रव का दृश्य निशान मिलता है तो उस साक्ष्य को मूल वस्तु से काटकर संरक्षित कर लिया जाय।
  8. घटनास्थल से साक्ष्य संकलन के समय यह भी सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि साक्ष्य एकत्रण के समय घटनास्थल पर कम से कम दो बाहरी व्यक्तियों की उपस्थिति है जो न्यायालय में उक्त साक्ष्यों के संकलन के समय प्रक्रिया के सत्यापन में गवाह हो सकें। दो व्यक्तियों की गवाही आवश्यक है जिनके समक्ष आपने घटनास्थल से उक्त साक्ष्यों का संकलन किया है।
  9. साक्ष्य की पैकिंग उक्त दो गवाहों की उपस्थिति में की जाय ताकि पारदर्शिता बरकरार रहे।
  10. पैकिंग करने से पूर्व साक्ष्यों को चिन्हित कर उन्हे प्रदर्श संख्या दिया जाना आवश्यक है।
  11. अलग-अलग साक्ष्यों को अलग-अलग पुलिंदों में पैक किया जाना चाहिये ताकि पारस्परिक संक्रमण न हो सके।
  12. यदि घटनास्थल से बाल मिलते हैं तो प्रत्येक बाल को अलग-अलग सफेद कागज़ में पैक किया जाना चाहिये।

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